प्रस्तावना (Introduction)

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हर व्यक्ति ने कभी ना कभी ज्वालामुखी के बारे में सुना होगा। ज्वालामुखी भूमिगत शक्ति का एक अद्वितीय स्रोत है जो आकर्षक, भयानक और रहस्यमयी हो सकता है। यहां हम भारत में ज्वालामुखी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।

भारत में ज्वालामुखी का परिचय (Volcano in India)

भारत एक ऐसा देश है जहां ज्वालामुखी के विभिन्न क्षेत्र पाए जाते हैं। ज्वालामुखी एक प्रकार का प्राकृतिक रूप है जो भूमि के नीचे मौजूद गर्म मग्मा और गैसों के प्रक्षेप के कारण आग से उभरता है। यह आग धारण करता है और ज्वालामुखी के मुख से धुंधला धुआं, लावा, और गर्म गैसों को निकालता है। ज्वालामुखी के मुख में निकलने वाली धाराएं बहुत गर्म होती हैं और विभिन्न आकार और ऊँचाई पर हो सकती हैं। यह प्राकृतिक प्रकाशीय दृश्यों का एक शानदार स्रोत है और इसका अद्भुत आकर्षण पर्यटकों को भी प्रभावित करता है।

भारत में सक्रिय ज्वालामुखी (Active Volcano in India)

भारत में केवल एक सक्रिय ज्वालामुखी है, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। यह ज्वालामुखी बार्रेन द्वीप पर स्थित है और इसे बार्रेन द्वीप ज्वालामुखी के नाम से जाना जाता है।

यह दक्षिण एशिया में कुछ ही सक्रिय ज्वालामुखीयों में से एक है और 18वीं सदी के अंत में से यहां धाराप्रवाहित होने लगी है।

यह ज्वालामुखी भारतीय अधिकारियों द्वारा मॉनिटर की जाती है ताकि इसकी गतिविधि का अध्ययन किया जा सके और आस-पास के क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

बैरेन आइलैंड: बैरेन आइलैंड, जो अंडमान सागर में स्थित है, भारत में एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी की जगह है। इसे स्ट्रेटोवॉल्केनो के रूप में श्रेणीबद्ध किया जाता है। इस ज्वालामुखी ने हाल ही में छिपकलीत गतिविधि दर्ज की है, जिसमें 1991, 1994, 2005, 2017 और 2019 में अवसंर्पन दर्ज किया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा ज्वालामुखी गतिविधि का नियमित अवलोकन किया जाता है।

ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcano)

यहां विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखीयों की विवरण समझाया गया है:

ढाल ज्वालामुखी (Shield Volcano):

    • विस्तृत, धीमे ढालों और निम्न प्रोफाइल के साथ पहचानी जाती हैं।
    • इनकी गठन के पीछे पतली, बेसाल्टिक लावा धाराएं होती हैं जो बड़े क्षेत्र में फैलती हैं।
    • ज्वालामुखी से धाराएँ निरंतर बहती हैं, जो केंद्रीय वेंट या दरार से निकलती हैं।

सम्मिश्र ज्वालामुखी (Stratovolcano/Composite Volcano):

      • ऊँची, ढलदार पक्षियों और सममिति वाली विस्फोटक ज्वालामुखीयाँ होती हैं।
      • लावा धाराओं और पायरोक्लास्टिक सामग्री (छिद्र, चट्टानें और कचरे) के आल्टरनेटिंग परतों से मिलकर बनी होती हैं।
      • विस्फोटक होती हैं, जिससे एश की बादल, पायरोक्लास्टिक धाराएँ और लावा धाराएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

चंद्रमौखी ज्वालामुखी (Cinder Cone Volcano):

        • छोटी, ढलदार ज्वालामुखीयाँ जो टोपकारी आकार में होती हैं।
        • छिद्र, एश और ज्वालामुखी बम जैसी पायरोक्लास्टिक सामग्री के एकत्रण से बनी होती हैं।
        • विस्फोटक होती हैं, जिसके कारण निकली सामग्री ज्वालामुखी के चारों ओर गिरकर टोपकारी आकार की बनावट को बनाती हैं।

लावा डोम( Lava Dome):

        • घने लावा के गोलाकार, ढलदार ढल जो बहुत दृढ़ता वाली लावा द्वारा बनाई जाती हैं जो बहुत दूर तक फ़्लो नहीं होती हैं।
        • आमतौर पर इसे बड़े ज्वालामुखी के चिल्लर में या एक स्वतंत्र सुविधा के रूप में पाया जाता हैं।
        • विस्फोटक हो सकते हैं, क्योंकि डोम के नीचे दबाव बढ़ता है, जिससे पायरोक्लास्टिक धाराएँ उत्पन्न होती हैं।

कैलडेरा( Caldera):

        • एक बड़े, कटाक्ष आकार की धड़केदार धरातल जो एक विस्फोटक ज्वालामुखी के बाद बनी होती हैं।
        • आमतौर पर मूल ज्वालामुखी से काफी बड़ी होती हैं।
        • कैलडेरा मग्मा चैम्बर के ध्वस्त होने या मग्मा भंडार की खाली होने के कारण बन सकती हैं।

समुद्री ज्वालामुखी (Marine Volcano):

        • समुद्री तल पर बनने वाले ज्वालामुखीयाँ।
        • सतह पर उठकर द्वीपों के रूप में हो सकती हैं या पानी की सतह के नीचे रह सकती हैं।
        • इनका संबंध हाइड्रोथर्मल वेंट्स और नए समुद्री भूभागों के गठन से हो सकता हैं।

सुपरज्वालामुखी (Supervolcano):

        • अत्यंत बड़े ज्वालामुखी जो भारी विस्फोटक प्रक्षेपण कर सकते हैं।
        • विस्फोट धाराएँ शामिल होती हैं, जिससे उत्पन्न होने वाले एश और गैस की वजह से वैश्विक प्रभाव हो सकता हैं।
        • इसका उदाहरण अमेरिका के येलोस्टोन कैल्डेरा और इंडोनेशिया के टोबा कैल्डेरा हैं।

ध्यान दें कि ज्वालामुखी गतिविधि विस्तृत रूप से बदल सकती है और कुछ ज्वालामुखीयों में इन व्यापक श्रेणियों के अंदर विभिन्नताएं हो सकती हैं। इसके अलावा, प्रत्येक ज्वालामुखी अद्वितीय  होती है और इन विस्तृत श्रेणियों के भीतर विविधताएं प्रदर्शित कर सकती हैं।

भारत में ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcano in India)

Sr.No

(क्रम संख्या)

Name(नाम) जगह (Place) प्रकार (Type)
1. बैरन द्वीप ज्वालामुखी (Barren Island Volcano) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman Island) Stratovolcano, Active

(स्ट्रैटोवोलकानो, सक्रिय)

2. नारकोंडम ज्वालामुखी (Narcondam Volcano) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman Island) Stratovolcano, Dormant

(स्ट्रैटोवोलकानो, सुप्त)

3. बारातांग द्वीप ज्वालामुखी (Baratang Island Volcano) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman Island) Mud volcanoes, Active

(मिट्टी के ज्वालामुखी, सक्रिय)

4. डेक्कन पठार ज्वालामुखी ( Deccan Plateau Volcano)

 

Central India(मध्य भारत) Caldera(काल्डेरा)
5. धिनोधर पहाड़ी ज्वालामुखी (Dhinodhar Hills Volcano) Gujarat (गुजरात) Extinct(दुर्लभ)
6. धोसी हिल ज्वालामुखी (Dhosi Hill Volcano) Haryana (हरियाना) Extinct(दुर्लभ)
7. तोशम हिल्स ज्वालामुखी (Tosham Hills Volcano) Haryana (हरियाना) Extinct(दुर्लभ)

 

भारत में विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखीयाँ हैं। यहां भारत में पाए जाने वाले ज्वालामुखीयों के प्रकारों का विवरण है:

बैरन द्वीप ज्वालामुखी (Barren Island Volcano):

भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। यह विश्व का सबसे पुराना और सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है।

बैरन द्वीप ज्वालामुखी की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • प्रमुखता: बैरन द्वीप ज्वालामुखी को इसकी ऊंचाई और नियमित विस्फोटन की प्रमुखता से पहचाना जाता है। इसकी चोटी की ऊँचाई लगभग 354 मीटर है।
  • ज्वालामुखी गतिविधि: बैरन द्वीप ज्वालामुखी सक्रिय होने के कारण अक्सर विस्फोटन की गतिविधियों का ग्रहण किया जाता है। यहां आवेशित लावा के कारण निकलते गरम धुंध और धूम्रपान देखा जा सकता है।
  • जैविक विविधता: बैरन द्वीप ज्वालामुखी के पास कुछ विचित्र प्राकृतिक जीव जंगल भी हैं। यहां पर सामुद्रिक पक्षियों, मुर्गधारियों और रेखचित्रक जीवों की विविधता देखी जा सकती है।
  • अद्वितीयता: बैरन द्वीप ज्वालामुखी का महत्व उसकी अद्वितीयता में है। यह विश्व का एकमात्र एक्टिव बाढ़ुए वाला ज्वालामुखी है और यहां के तत्वों और प्राकृतिक पर्यावरण की अद्वितीयता अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

नारकोंडम ज्वालामुखी (Narcondam Volcano):

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। यह विश्व का एकमात्र विस्फोटक ज्वालामुखी द्वीप है और अत्यंत महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्थल है। नारिया ज्वालामुखी की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • .विस्फोटक गतिविधि: नारिया ज्वालामुखी सक्रिय ज्वालामुखी है और नियमित विस्फोटन की गतिविधियों का ग्रहण किया जाता है। यहां पर सुपार्श्विक पत्थर, आवेशित लावा, गरम धुंध और धूम्रपान देखा जा सकता है।
  • वन्य जीवन: नारिया ज्वालामुखी के पास एक छोटा जंगल है जहां पर्यावरणीय और जैविक विविधता देखी जा सकती है। यहां पर अनेक प्रकार के पक्षियों, जीवों और पौधों के संरक्षण के लिए अभयारण्य भी स्थापित किए गए हैं।
  • गुफाएं: नारिया ज्वालामुखी पर विशेष धार्मिक महत्व की कुछ गुफाएं हैं। यहां पर भक्तों द्वारा स्थापित मंदिर और धार्मिक स्थलों का भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • विज्ञानिक महत्व: नारिया ज्वालामुखी का वैज्ञानिक महत्व उसकी सक्रियता और विस्फोटनिक गतिविधि में है। इसे वैज्ञानिकों और जैवविज्ञानियों के लिए एक अद्वितीय अध्ययन केंद्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

बारातांग द्वीप ज्वालामुखी (Baratang Island Volcano):

  • बारतंग द्वीप एक वॉल्केनो के रूप में जाना जाता है, जो भारतीय महासागर के एक महत्वपूर्ण द्वीप है। यह द्वीप आंडमान और निकोबार द्वीप समूह का हिस्सा है और अंडमान निकोबार द्वीप प्रशांत क्षेत्र में स्थित है। बारतंग द्वीप प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है और यहां के ज्वालामुखी के कारण भी प्रसिद्ध होता है।
  • ज्वालामुखी एक प्राकृतिक प्रकाश स्थल होता है, जहां मग्मा, गैस और अन्य धातुओं का उबलना होता है और इससे तेज आवाज और धुंध निकलती है। बारतंग द्वीप पर स्थित ज्वालामुखी “बारतंग ज्वालामुखी” नामक है और यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
  • बारतंग ज्वालामुखी की खासियत यह है कि यह लावा के जबाव से निर्मित तरंगों या बोरीस के माध्यम से ज्वालामुखी द्वारा उग्र धारा बनाता है। इसका मतलब है कि यात्रियों को ज्वालामुखी तक पहुंचने के लिए वन क्षेत्रों और नदियों के माध्यम से यात्रा करनी पड़ती है। इससे यह एक रोमांचकारी और अनुभवपूर्ण यात्रा होती है।

डेक्कन पठार ज्वालामुखी,( Deccan Plateau Volcano):

जिसे डेक्कन वुलकेनो भी कहा जाता है, भारतीय महाद्वीप के डेक्कन पठार में स्थित है। इसमें विशाल विस्फोटक ज्वालामुखीयों की सृजनशीलता को दर्शाता है, जिन्होंने लगभग 6,50,000 से 6,60,000 साल पहले विस्फोटक गतिविधि की थी। इस ज्वालामुखी गतिविधि के परिणामस्वरूप बड़े-बड़े माग्मा प्रवाहों ने भूमि की सतह पर विशाल लावा प्रवाह का उत्पादन किया।

डेक्कन पठार ज्वालामुखीयों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

    • विस्फोटक व्यापकता: डेक्कन पठार में स्थित ज्वालामुखीयाँ व्यापक और बड़े पैमाने पर विस्फोटक गतिविधि करती थीं। इससे उन्हें “सुपरज्वालामुखीयाँ” कहा जाता है।
    • विशाल लावा प्रवाह: डेक्कन पठार में विस्फोटक ज्वालामुखीयों से उत्पन्न माग्मा द्वारा विशाल लावा प्रवाह का उत्पादन हुआ। इससे पृथ्वी की सतह पर बड़े क्षेत्रों में दखल हुआ।
    • बासल्ट प्रकार: डेक्कन पठार ज्वालामुखीयों की प्रमुख लावा प्रकृति बासल्टिक होती है। यह बासल्ट लावा अत्यंत पतली होती है और धीरे-धीरे फैलकर बड़े क्षेत्रों को आवरण कर देती है।
    • जंगली वनस्पति प्रभाव: डेक्कन पठार में ज्वालामुखी गतिविधि ने वनस्पति प्रभावित किया है। ज्वालामुखीयों के प्रक्षेपित लावा ने पृथ्वी की सतह पर पत्थरीकरण किया और यहां जंगली वनस्पति का विकास हुआ है।

धिनोधर पहाड़ी ज्वालामुखी (Dhinodhar Hills Volcano):

      • धीनोधर पहाड़ों का स्थान गुजरात, भारत के जूनागढ़ जिले में है। वे ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं, विशेष रूप से उपरकोट गुफाएं और विभिन्न जैन मंदिरों के लिए।
      • यह महत्वपूर्ण है कि सभी पहाड़ या भूवैज्ञानिक संरचनाएं ज्वालामुखी संबंधी नहीं होती हैं। कुछ पहाड़ अपघटन, तकनीकी उच्चाधान, या अवसादन जैसे विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के द्वारा बने होते हैं।
      • धीनोधर पहाड़ों के मामले में, ज्वालामुखी गतिविधि का कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं है।

धिनोधर पहाड़ी ज्वालामुखी (Dhinodhar Hills Volcanoes):

राजस्थान, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन ज्वालामुखी स्थल है जो एक पहाड़ी के रूप में प्रसिद्ध है। इसे विशेष रूप से जैविक विविधता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।

धोसी हिल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

        • ज्वालामुखी संरचना: धोसी हिल का मूलभूत संरचनात्मक आधार एक पुरानी ज्वालामुखी है। इसकी उत्पत्ति को क्रियाशील ज्वालामुखी गतिविधियों से जोड़ा जाता है।
        • लावा ढलान: ज्वालामुखी गतिविधि के फलस्वरूप धोसी हिल पर लावा का ढलान हुआ है। इससे पहाड़ के ऊपरी भाग पर एक विशाल लावा ढलान बना है।
        • तीर्थस्थल: धोसी हिल एक महत्वपूर्ण धार्मिक और तीर्थस्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। यहां परंपरागत रूप से लोग पूजा एवं परिवहन करते हैं।

तोशम हिल्स ज्वालामुखी (Tosham Hills Volcano):

हरियाणा, भारत में स्थित है। यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण ज्वालामुखी स्थल है जिसे तोशम द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्राचीन ज्वालामुखी थी जिसकी अवशेषों को आज भी देखा जा सकता है।तोशम हिल्स ज्वालामुखी की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • विभिन्न तत्वों की प्रचुरता: तोशम हिल्स ज्वालामुखी के आवशेषों में विभिन्न तत्वों की प्रचुरता होती है, जैसे कि बासल्ट, लावा, और रजत पत्थर
  • ज्वालामुखी रोधी: यह ज्वालामुखी रोधी बन गई है, जिसका मतलब है कि यह ज्वालामुखी के विस्तार और ज्वालामुखी गतिविधि को रोकने की क्षमता रखती है।
  • पर्यटन स्थल: तोशम हिल्स ज्वालामुखी पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक ज्वालामुखी के प्राचीन और रोमांचक इतिहास को जान सकते हैं और इसके चारों ओर विकसित तत्वों का आनंद उठा सकते हैं।

 

 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1.Volcanoes क्या होता है? ज्वालामुखी एक प्रकार का प्राकृतिक रूप है जो भूमि के नीचे मौजूद गर्म मग्मा और गैसों के प्रक्षेप के कारण आग से उभरता है।

2.भारत में कौन-कौन सी प्रमुख ज्वालामुखी स्थित हैं? भारत में कुछ प्रमुख ज्वालामुखी स्थानों में केदारनाथज्वालामुखी, वैष्णोदेवी मंदिर ज्वालामुखी, बालीपुर ज्वालामुखी, भीमाशंकर ज्वालामुखी, नारायणगढ़ ज्वालामुखी, और बरेंद्र ज्वालामुखी शामिल हैं।

3.ज्वालामुखी का धार्मिक और प्राकृतिक महत्व क्या है? ज्वालामुखी हिन्दू और अन्य धार्मिक संप्रदायों के लिए आध्यात्मिकता का प्रतीक है और प्राकृतिक प्रकाशीय दृश्यों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसका धार्मिक और प्राकृतिक महत्व उन्नति, आध्यात्मिकता, और प्रकृति से जुड़ा हुआ है।

4.ज्वालामुखी से जुड़े खतरे क्या हैं और उनका प्रबंधन कैसे किया जाता है? ज्वालामुखी से निकलने वाली लावा, धुंधला धुआं, भूकंप, और भूचाल जैसे खतरे हो सकते हैं। इन खतरों का प्रबंधन और सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन करके किया जाता है। ज्वालामुखी क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं और लोगों को जागरूक किया जाता है कि वे खतरे के साथ कैसे सावधान रहें।

5.ज्वालामुखी से जुड़े पर्यटन स्थल कौन-कौन से हैं? ज्वालामुखी क्षेत्रों में केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ, और आदि प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यहां पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य, तपस्या स्थल, और आध्यात्मिक अनुभव का आनंद मिलता है।

 

निष्कर्ष:

ज्वालामुखी भारत में एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। यह आध्यात्मिक, प्राकृतिक, और पर्यटन के माध्यम से महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, इसके साथ खतरे भी जुड़े होते हैं, और इन खतरों का प्रबंधन और सुरक्षा महत्वपूर्ण होता है। पर्यटन के माध्यम से ज्वालामुखी का आनंद लेने के लिए सुरक्षा नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

 

 

 

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